Shayari Page
GHAZAL

दिल सोज़ से ख़ाली है निगह पाक नहीं है

दिल सोज़ से ख़ाली है निगह पाक नहीं है

फिर इस में अजब क्या कि तू बेबाक नहीं है

है ज़ौक़-ए-तजल्ली भी इसी ख़ाक में पिन्हाँ

ग़ाफ़िल तू निरा साहिब-ए-इदराक नहीं है

वो आँख कि है सुर्मा-ए-अफ़रंग से रौशन

पुरकार ओ सुख़न-साज़ है नमनाक नहीं है

क्या सूफ़ी ओ मुल्ला को ख़बर मेरे जुनूँ की

उन का सर-ए-दामन भी अभी चाक नहीं है

कब तक रहे महकूमी-ए-अंजुम में मिरी ख़ाक

या मैं नहीं या गर्दिश-ए-अफ़्लाक नहीं है

बिजली हूँ नज़र कोह ओ बयाबाँ पे है मेरी

मेरे लिए शायाँ ख़स-ओ-ख़ाशाक नहीं है

आलम है फ़क़त मोमिन-ए-जाँबाज़ की मीरास

मोमिन नहीं जो साहिब-ए-लौलाक नहीं है

Comments

Loading comments…
दिल सोज़ से ख़ाली है निगह पाक नहीं है — Allama Iqbal • ShayariPage