Shayari Page
NAZM

मैं इश्क अलस्त परस्त हूं

मैं इश्क अलस्त परस्त हूं

खोलूं रूहों के भेद

मेरा नाम सुनहरा सांवरा

एक सुंदरता का वेद

मैं खुरचु नाखुने शौक से

एक शब्द भरी दीवार

वो शब्द भरी दीवार है

ये रंग सजा संसार

है 114 सूरते बस इक सूरत का नूर

वो सूरत सोने यार की

जो अहसन और भरपूर

मन मुक्त हुआ हर लोभ से

अब क्या चिंता क्या दुख

रहे हरदम यार निगाह में

मेरे नैनन सुख ही सुख

ये पेड़, परिंदे, तितलियां

मेरी रूह के साए हैं

ये जितने घायल लोग हैं

मेरे माँ-जाये है

मेरी आंख कलंदर कादरी

मेरा सीना है बगदाद

मेरा माथा दिन अजमेर का

दिल पाक पतन आबाद

मैं अब अपना अवतार हूं

मैं अब अपनी पहचान

मैं दिन धर्म से मावरा

मैं हूं हजरत इन्सान

Comments

Loading comments…