NAZM•
मैं इश्क अलस्त परस्त हूं
By Ali Zaryoun
मैं इश्क अलस्त परस्त हूं
खोलूं रूहों के भेद
मेरा नाम सुनहरा सांवरा
एक सुंदरता का वेद
मैं खुरचु नाखुने शौक से
एक शब्द भरी दीवार
वो शब्द भरी दीवार है
ये रंग सजा संसार
है 114 सूरते बस इक सूरत का नूर
वो सूरत सोने यार की
जो अहसन और भरपूर
मन मुक्त हुआ हर लोभ से
अब क्या चिंता क्या दुख
रहे हरदम यार निगाह में
मेरे नैनन सुख ही सुख
ये पेड़, परिंदे, तितलियां
मेरी रूह के साए हैं
ये जितने घायल लोग हैं
मेरे माँ-जाये है
मेरी आंख कलंदर कादरी
मेरा सीना है बगदाद
मेरा माथा दिन अजमेर का
दिल पाक पतन आबाद
मैं अब अपना अवतार हूं
मैं अब अपनी पहचान
मैं दिन धर्म से मावरा
मैं हूं हजरत इन्सान