Shayari Page
GHAZAL

ज़ने हसीन थी और फूल चुन कर लाती थी

ज़ने हसीन थी और फूल चुन कर लाती थी

मैं शेर कहता था, वो दास्ताँ सुनाती थी

अरब लहू था रगों में, बदन सुनहरा था

वो मुस्कुराती नहीं थी, दीए जलाती थी

"अली से दूर रहो", लोग उससे कहते थे

"वो मेरा सच है", बहुत चीख कर बताती थी

"अली ये लोग तुम्हें जानते नहीं हैं अभी"

गले लगाकर मेरा हौसला बढ़ाती थी

ये फूल देख रहे हो, ये उसका लहजा था

ये झील देख रहे हो, यहाँ वो आती थी

मैं उसके बाद कभी ठीक से नहीं जागा

वो मुझको ख्वाब नहीं नींद से जगाती थी

उसे किसी से मोहब्बत थी और वो मैं नहीं था

ये बात मुझसे ज़्यादा उसे रूलाती थी

मैं कुछ बता नहीं सकता वो मेरी क्या थी "अली"

कि उसको देखकर बस अपनी याद आती थी

Comments

Loading comments…
ज़ने हसीन थी और फूल चुन कर लाती थी — Ali Zaryoun • ShayariPage