वो ही कर्तबा तेरी याद का, वो ही नै नवा ए खयाल है

वो ही कर्तबा तेरी याद का, वो ही नै नवा ए खयाल है

वो ही मैं जो था तेरे हिज्र में, वो ही मशहद ए खद्दो खाल है

तेरी नींद किसके लिए उड़ी, मेरा ख्वाब किसने बुझा दिया

इसे सुन कर रूख़ नहीं फेरना, तेरे मातमी का सवाल है

ये मजाक़ तो नहीं हो रहा, मैं खुशी से तो नहीं रो रहा

कोई फिल्म तो नहीं चल रही, मेरी जान ये मेरा हाल है

किसी सैय्यदा के चरण पडूं, कोई काज़मी जो दुआ करे

कोई हो जो ग़म की हया करे, मेरा कर्बलाई मलाल है

वो चराग़ ए शहर ए विफाक़ है, मेरे साथ जिसका फिराक़ है

भले दूर पार से ही सही, मेरा राब़्ता तो बहाल है

वो खुशी से इतनी निहाल थी कि "अली" मैं सोच कर डर गया

मैं उसे बता ही नहीं सका कि ये मेरी आखिरी कॉल है