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GHAZAL

नया ज़ायक़ा है मज़ा मुख़्तलिफ़ है

नया ज़ायक़ा है मज़ा मुख़्तलिफ़ है

ग़ज़ल चख के देख इस दफ़ा मुख़्तलिफ़ है

सुनो तुमने दुनिया फिरी है परिंदों

ये तन्हाई क्या हर जगह मुख़्तलिफ़ है

सदा काम कैसे करेगी वहाँ पर

गली तो वही है गला मुख़्तलिफ़ है

हमारी तुम्हारी सज़ा इक नहीं क्यों

हमारी तुम्हारी ख़ता मुख़्तलिफ़ है

तुम अबतक मुनाफ़िक़ दिलों में रही हो

मिरे दिल की आब-ओ-हवा मुख़्तलिफ़ है

वो रोते हुए हँस पड़ा और बोला

ख़ुदा आदमी से बड़ा मुख़्तलिफ़ है

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