Shayari Page
GHAZAL

मुझे तो सब तमाशा लग रहा है

मुझे तो सब तमाशा लग रहा है

खुदा से पूछ उसे क्या लग रहा है

वबा के दिन गुज़रते जा रहे हैं

मदीना और सच्चा लग रहा है

अज़्जी़यत से तके जाता हूँ खुदको

तुम्हें ये घर में रहना लग रहा है

खुद अपने साथ रहना पड़ गया था

और अब दुश्मन भी अच्छा लग रहा है

Comments

Loading comments…