GHAZAL•
मैं सोचता हूँ न जाने कहाँ से आ गए हैं
By Ali Zaryoun
मैं सोचता हूँ न जाने कहाँ से आ गए हैं
हमारे बीच ज़माने कहाँ से आ गए हैं
मैं शहर वाला सही, तू तो गाँव-ज़ादी है
तुझे बहाने बनाने कहाँ से आ गए हैं
मेरे वतन तेरे चेहरे को नोचने वाले
ये कौन हैं ये घराने कहाँ से आ गए हैं