मैं सोचता हूँ न जाने कहाँ से आ गए हैं

मैं सोचता हूँ न जाने कहाँ से आ गए हैं

हमारे बीच ज़माने कहाँ से आ गए हैं


मैं शहर वाला सही, तू तो गाँव-ज़ादी है

तुझे बहाने बनाने कहाँ से आ गए हैं


मेरे वतन तेरे चेहरे को नोचने वाले

ये कौन हैं ये घराने कहाँ से आ गए हैं