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GHAZAL

ख़याल में भी उसे बे-रिदा नहीं किया है

ख़याल में भी उसे बे-रिदा नहीं किया है

ये ज़ुल्म मुझसे नहीं हो सका नहीं किया है

मैं एक शख़्स को ईमान जानता हूँ तो क्या

ख़ुदा के नाम पर लोगों ने क्या नहीं किया है

इसीलिए तो मैं रोया नहीं बिछड़ते समय

तुझे रवाना किया है जुदा नहीं किया है

ये बद-तमीज़ अगर तुझसे डर रहे हैं तो फिर

तुझे बिगाड़ कर मैंने बुरा नहीं किया है

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