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GHAZAL

जो इस्म-ओ-जिस्म को बाहम निभाने वाला नही

जो इस्म-ओ-जिस्म को बाहम निभाने वाला नही

मैं ऐसे इश्क़ पर ईमान लाने वाला नहीं

मैं पांव धोके पियूं, यार बनके जो आए

मुनाफ़िक़ों को तो मैं मुंह लगाने वाला नहीं

बस इतना जान ले ऐ पुर-कशिश के दिल तुझसे

बहल तो सकता है पर तुझ पे आने वाला नहीं

तुझे किसी ने गलत कह दिया मेरे बारे

नहीं मियां मैं दिलों को दुखाने वाला नहीं

सुन ऐ काबिला-ए-कुफी-दिलाँ मुकर्रर सुन

अली कभी भी हजीमत उठाने वाला नहीं

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