चुपचाप क्यों फिरो हो कोई बात तो करो
चुपचाप क्यों फिरो हो कोई बात तो करो
हल भी निकालते हैं मुलाकात तो करो
ख़ाली हवा में उड़ना फकीरी नहीं मियां
दिल जोड़ के दिखाओ करामात तो करो
खेतों को खा गई है ये शहरिली बस्तियां
साहब इलाज-ए-रंज-ए-मुज़ाफ़ात तो करो
चुपचाप क्यों फिरो हो कोई बात तो करो
हल भी निकालते हैं मुलाकात तो करो
ख़ाली हवा में उड़ना फकीरी नहीं मियां
दिल जोड़ के दिखाओ करामात तो करो
खेतों को खा गई है ये शहरिली बस्तियां
साहब इलाज-ए-रंज-ए-मुज़ाफ़ात तो करो