चरागाहें न‌ई आबाद होगी

चरागाहें न‌ई आबाद होगी

मगर जो बस्तियां बर्बाद होगी

खुदा मिट्टी को फिर से हुक्म देगा

कई शक्लें न‌ई ईजाद होगी

अभी मुमकिन नहीं लेकिन ये होगा

किताबें साहिब-ए-औलाद होगी

मैं उन आंखों को पढ़कर सोचता हूं

ये नज्में किस तरह से याद होगी

ये परियां फिर नहीं आएगी मिलने

ये ग़ज़लें फिर नहीं इरशाद होगी

मैं डरता हूं अली उन आदतों से

के जो मुझको तुम्हारे बाद होगी