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GHAZAL

बुझी आंखों में किरणें भर रही हो, कौन हो तुम?

बुझी आंखों में किरणें भर रही हो, कौन हो तुम?

मेरी नींदों को रोशन कर रही हो, कौन हो तुम?

मुझ ऐसे घर में तो शैतान भी आता नहीं है,

तुम इतने दिन मेरे अंदर रही हो, कौन हो तुम?

मैं जिसकी याद में 'रोया' हुआ हूँ वो कहाँ है?

मेरा तावान तुम क्यों भर रही हो, कौन हो तुम?

भरे मजमे से कमरे तक तुम्हीं लाई हो मुझको,

अब इस तन्हाई से खुद डर रही हो, कौन हो तुम?

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