GHAZAL•
बात मुकद्दर की है सारी वक्त का लिक्खा मारता है
By Ali Zaryoun
बात मुकद्दर की है सारी वक्त का लिक्खा मारता है
कुछ सजदों में मर जाते हैं कुछ को सजदा मारता है
सिर्फ हम ही हैं जो तुझ पर पूरे के पूरे मरते हैं
वरना किसी को तेरी आंखें, किसी को लहज़ा मारता है
दिलवाले एक दूजे की इमदाद को खुद मर जाते हैं
दुनियादार को जब भी मारे दुनियावाला मारता है
शहर में एक नए कातिल के हुस्न-ए-सुखन के बलवे हैं
उससे बच के रहना शेर सुना के बंदा मारता है