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निगाह-ए-गर्म क्रिसमस में भी रही हम पर

निगाह-ए-गर्म क्रिसमस में भी रही हम पर

हमारे हक़ में दिसम्बर भी माह-ए-जून हुआ

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निगाह-ए-गर्म क्रिसमस में भी रही हम पर — Akbar Allahabadi • ShayariPage