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इस क़दर था खटमलों का चारपाई में हुजूम

इस क़दर था खटमलों का चारपाई में हुजूम

वस्ल का दिल से मिरे अरमान रुख़्सत हो गया

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इस क़दर था खटमलों का चारपाई में हुजूम — Akbar Allahabadi • ShayariPage