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दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ

दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ

बाज़ार से गुज़रा हूँ ख़रीदार नहीं हूँ

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दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ — Akbar Allahabadi • ShayariPage