अपनी गिरह से कुछ न मुझे आप दीजिए

अपनी गिरह से कुछ न मुझे आप दीजिए

अख़बार में तो नाम मिरा छाप दीजिए


देखो जिसे वो पाइनियर ऑफ़िस में है डटा

बहर-ए-ख़ुदा मुझे भी कहीं छाप दीजिए


चश्म-ए-जहाँ से हालत-ए-असली छुपी नहीं

अख़बार में जो चाहिए वो छाप दीजिए


दा'वा बहुत बड़ा है रियाज़ी में आप को

तूल-ए-शब-ए-फ़िराक़ को तो नाप दीजिए


सुनते नहीं हैं शैख़ नई रौशनी की बात

इंजन की उन के कान में अब भाप दीजिए


इस बुत के दर पे ग़ैर से 'अकबर' ने कह दिया

ज़र ही मैं देने लाया हूँ जान आप दीजिए