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उसकी आँखों को कभी ग़ौर से देखा है ‘फ़राज़'

उसकी आँखों को कभी ग़ौर से देखा है ‘फ़राज़'

रोने वालों की तरह जागने वालों जैसी

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उसकी आँखों को कभी ग़ौर से देखा है ‘फ़राज़' — Ahmad Faraz • ShayariPage