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तेरे क़रीब आ के बड़ी उलझनों में हूँ

तेरे क़रीब आ के बड़ी उलझनों में हूँ

मैं दुश्मनों में हूँ कि तिरे दोस्तों में हूँ

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तेरे क़रीब आ के बड़ी उलझनों में हूँ — Ahmad Faraz • ShayariPage