मुन्सिफ़ हो अगर तुम तो कब इंसाफ़ करोगे Ahmad Faraz@ahmad-farazमुन्सिफ़ हो अगर तुम तो कब इंसाफ़ करोगे मुजरिम हैं अगर हम तो सज़ा क्यूँ नहीं देते