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लो फिर तिरे लबों पे उसी बेवफ़ा का ज़िक्र

लो फिर तिरे लबों पे उसी बेवफ़ा का ज़िक्र

अहमद-'फ़राज़' तुझ से कहा ना बहुत हुआ

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लो फिर तिरे लबों पे उसी बेवफ़ा का ज़िक्र — Ahmad Faraz • ShayariPage