Shayari Page
SHER

कुछ इस तरह से गुज़ारी है ज़िन्दगी जैसे

कुछ इस तरह से गुज़ारी है ज़िन्दगी जैसे

तमाम उम्र किसी दूसरे के घर में रहा

Comments

Loading comments…
कुछ इस तरह से गुज़ारी है ज़िन्दगी जैसे — Ahmad Faraz • ShayariPage