SHER•6/10/2020कितना आसाँ था तिरे हिज्र में मरना जानाँBy Ahmad FarazLikeShareReportHindiEnglishकितना आसाँ था तिरे हिज्र में मरना जानाँ फिर भी इक उम्र लगी जान से जाते जाते