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कौन ताक़ों पे रहा कौन सर-ए-राहगुज़र

कौन ताक़ों पे रहा कौन सर-ए-राहगुज़र

शहर के सारे चराग़ों को हवा जानती है

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कौन ताक़ों पे रहा कौन सर-ए-राहगुज़र — Ahmad Faraz • ShayariPage