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इस ज़िन्दगी में इतनी फ़राग़त किसे नसीब

इस ज़िन्दगी में इतनी फ़राग़त किसे नसीब

इतना न याद आ कि तुझे भूल जाएँ हम

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इस ज़िन्दगी में इतनी फ़राग़त किसे नसीब — Ahmad Faraz • ShayariPage