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हम दोहरी अज़िय्यत के गिरफ़्तार मुसाफ़िर

हम दोहरी अज़िय्यत के गिरफ़्तार मुसाफ़िर

पाँव भी हैं शल शौक़-ए-सफ़र भी नहीं जाता

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हम दोहरी अज़िय्यत के गिरफ़्तार मुसाफ़िर — Ahmad Faraz • ShayariPage