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भरी बहार में इक शाख़ पर खिला है गुलाब

भरी बहार में इक शाख़ पर खिला है गुलाब

कि जैसे तू ने हथेली पे गाल रक्खा है

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भरी बहार में इक शाख़ पर खिला है गुलाब — Ahmad Faraz • ShayariPage