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अब तेरे ज़िक्र पे हम बात बदल देते हैं

अब तेरे ज़िक्र पे हम बात बदल देते हैं

कितनी रग़बत थी तेरे नाम से पहले पहले

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अब तेरे ज़िक्र पे हम बात बदल देते हैं — Ahmad Faraz • ShayariPage