कठिन है राहगुज़र थोड़ी दूर साथ चलो

कठिन है राहगुज़र थोड़ी दूर साथ चलो

बहुत कड़ा है सफ़र थोड़ी दूर साथ चलो


तमाम उम्र कहाँ कोई साथ देता है

ये जानता हूँ मगर थोड़ी दूर साथ चलो


नशे में चूर हूँ मैं भी तुम्हें भी होश नहीं

बड़ा मज़ा हो अगर थोड़ी दूर साथ चलो


ये एक शब की मुलाक़ात भी ग़नीमत है

किसे है कल की ख़बर थोड़ी दूर साथ चलो


अभी तो जाग रहे हैं चराग़ राहों के

अभी है दूर सहर थोड़ी दूर साथ चलो


तवाफ़-ए-मंज़िल-ए-जानाँ हमें भी करना है

'फ़राज़' तुम भी अगर थोड़ी दूर साथ चलो