GHAZAL•
चारपाई पे आ उतारी है
By Afkar Alvi
चारपाई पे आ उतारी है
जिंदगी जिंदा लाश भारी है
आप दुख दे रहे है रो रहा हुँ
और ये फिलहाल जारी है
रोना लिखा गया रोते है
जिम्मेदारी तो जिम्मेदारी है
मेरी मर्जी जहाँ भी सर्फ़ करु
जिंदगी मेरी है, तुम्हारी है
दुश्मनी के हजारो दर्जे है
आखिरी दर्जा रिशतादारी है