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मैं अपने दोनों तरफ़ एक सा हूँ तेरे लिए

मैं अपने दोनों तरफ़ एक सा हूँ तेरे लिए

किसी से शर्त लगा फिर मुझे उछाल के देख

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मैं अपने दोनों तरफ़ एक सा हूँ तेरे लिए — Abrar Kashif • ShayariPage