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SHER

दिन में मिल लेते कहीं रात ज़रूरी थी क्या?

दिन में मिल लेते कहीं रात ज़रूरी थी क्या?

बेनतीजा ये मुलाक़ात ज़रूरी थी क्या

मुझसे कहते तो मैं आँखों में बुला लेता तुम्हें

भीगने के लिए बरसात ज़रूरी थी क्या

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दिन में मिल लेते कहीं रात ज़रूरी थी क्या? — Abrar Kashif • ShayariPage