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अब के हम तर्क-ए-रसूमात करके देखते हैं

अब के हम तर्क-ए-रसूमात करके देखते हैं

बीच वालों के बिना बात करके देखते हैं

इससे पहले कि कोई फ़ैसला तलवार करे

आख़िरी बार मुलाक़ात करके देखते हैं

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अब के हम तर्क-ए-रसूमात करके देखते हैं — Abrar Kashif • ShayariPage