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करती है तो करने दे हवाओं को शरारत

करती है तो करने दे हवाओं को शरारत

मौसम का तकाज़ा है कि बालों को खुला छोड़

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करती है तो करने दे हवाओं को शरारत — Abrar Kashif • ShayariPage