वो तो अच्छा है ग़ज़ल तेरा सहारा है मुझे

वो तो अच्छा है ग़ज़ल तेरा सहारा है मुझे

वर्ना फ़िक्रों ने तो बस घेर के मारा है मुझे


जिसकी तस्वीर मैं काग़ज़ पे बना भी न सका

उसने मेहँदी से हथेली पे उतारा है मुझे


ग़ैर के हाथ से मरहम मुझे मंज़ूर नहीं

तुम मगर ज़ख़्म भी दे दो तो गवारा है मुझे