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क्या तमाशा है कि सब मुझको बुरा कहते हैं

क्या तमाशा है कि सब मुझको बुरा कहते हैं

और सब चाहते हैं मेरी तरह का होना

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क्या तमाशा है कि सब मुझको बुरा कहते हैं — Abbas Tabish • ShayariPage