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GHAZAL

ये बता यौम-ए-मोहब्बत का समाँ है कि नहीं

ये बता यौम-ए-मोहब्बत का समाँ है कि नहीं

शहर का शहर गुलाबों की दुकाँ है कि नहीं

आदतन उसके लिए फूल खरीदे वरना

नहीं मालूम वो इस बार यहाँ है कि नहीं

ये तेरे बाद जो लेता हूँ मैं लंबी साँसें

मुझको ये जानना है जिस्म में जाँ है कि नहीं

हम तो फूलों के एवज़ फूल लिया करते हैं

क्या ख़बर इसका रिवाज़ आप के यहाँ है कि नहीं

उस गली का तो पता ठीक बताया तूने

ये बता उस में वो दिलदार मकाँ है कि नहीं

पहले तो मुझको दिलाते है वो ग़ुस्सा 'ताबिश'

और फिर पूछते है मुँह में ज़बाँ है कि नहीं

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