शेर लिखने का फायदा क्या है

शेर लिखने का फायदा क्या है

उस से कहने को अब रहा क्या है

पहले से तै -शुदा मोहब्बत में

तू बता तेरा मश्वरा क्या है

सुर्ख क्यों हो रहे हैं तेरे कान

मैंने तुझ से अभी कहा क्या है

आँखें मल मल के देखता हूँ उसे

दोपहर में ये चाँद सा क्या है

मेरा हम -असर सुबह का तारा

मेरे बारे में जानता क्या है

सोचते होंठ बोलती आँखें

हैराती का मुकलिमा क्या है

शोर सा उठ रहा है चार -तरफ

कुछ गिरा है मगर गिरा क्या है

मैं यहाँ से पलटना चाहता हूँ

ऐ खुदा तेरा मश्वरा क्या है

जिस्म के उस तरफ है गुल आबाद

फांद दिवार देखता क्या है

मेरी खुद से मुफाहामत न हुई

तू बता तेरा मसाला क्या है

इस लिए बोलने पे हूँ मजबूर

आप सोचेंगे सोचता क्या है

ये बहुत देर में हुआ मालूम

इश्क़ क्या है मुघालता क्या है

मैं तो आदि हूँ खाक छानने का

तुम बताओ की ढूँढना क्या है

इश्क़ कर के भी खुल नहीं पाया

तेरा मेरा मुआमला क्या है

मै बना था खनकती मिटटी से

मेरे अंदर सुकुट सा क्या है