देख दीवारों पे ग़हरी झुर्रियाँ बारिश के बाद

देख दीवारों पे ग़हरी झुर्रियाँ बारिश के बाद

और बूढ़ा हो गया कच्चा मकाँ बारिश के बाद

अब मैं तन्हा भीगता उनको नज़र आता नही

सब निकल आयेंगे ले कर छतरियाँ बारिश के बाद

तू है सतरंगी धनक और मैं गली कूचों की गर्द

तू कहाँ बारिश से पहले मैं कहाँ बारिश के बाद